ऐतिहासिक तेभागा आन्दोलन
का आदिवासी नायक (तस्वीर काल्पनिक)
बंधन उरांव के बारे
में किसी ने नहीं लिखा है और लिखेंगे भी नहीं। अगर लिखेंगे भी तो उनके लिखे हुए में बंधन उरांव जैसे हमारे पुरखे
नहीं होंगे और वे हमारे आंदोलनों को भी अपना बनाकर पेश करेंगे। ऐतिहासिक तेभागा आंदोलन (1945-50) की शुरुआत आदिवासियों ने की थी। बाद में वामपंथी अपनी किसान सभा के साथ इसमें आ जुड़े। पर यह मूलतः आदिवासियों, दलितों
और पिछड़ों का आंदोलन था जो फसल में दो-तिहाई हिस्से
की मांग कर रहे थे। बंधन उरांव तेभागा आंदोलन के एक बड़े नायक थे जिन्होंने अपने
साथियो के साथ बड़े जोतदारों की फसल पर कब्जा किया। वे गिरफ्तार हुए और जेल की सजा काटी। लेकिन इतिहासकारों ने इस आंदोलन को कम्युनिस्टों की देन बताकर
बंधन उरांव जैसे आदिवासी नायकों के वास्तविक इतिहास पर पर्दा डाल दिया है।
(लेख
और तस्वीर अश्विनी पंकज, वेवरिष्ठ संस्कृतिकर्मी, लेखक और आदिवासी मुद्दों के जानकार है)